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राज्य में मध्याह्न भोजन योजना (MDM) के क्रियान्वयन में पारदर्शिता तथा आमलोगों की सहभागिता सुनिश्चित करने, शिकायत एवं सुझाव आमंत्रित करने के उद्देश्य से प्रतिदिन विद्यालयवार उपस्थित तथा मध्याह्न भोजन योजना से लाभान्वित बच्चों की दोपहर (IVRS) के माध्यम से उपलब्ध सूचना को आप यहाँ क्लिक कर के प्रत्येक दिन के उपस्थिति को देख सकते हैं www.dopahar.org


मिड-डे मील योजना (MDM) के तहत स्कूलों में भोजन की लागत की सटीक गणना करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। इस प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने के लिए "MDM कैलकुलेटर (बिहार)" एक उपयोगी एप्लिकेशन है। यह ऐप विशेष रूप से बिहार के स्कूलों के लिए विकसित किया गया है और शिक्षकों को मिड-डे मील की लागत की गणना में सहायता प्रदान करता है। मिड-डे मील कैलकुलेटर एक उपयोगकर्ता-अनुकूल मोबाइल एप्लिकेशन है, जिसे शिक्षकों के लिए मध्याह्न भोजन योजना (MDM) के प्रबंधन को सरल और सटीक बनाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। यह ऐप शिक्षकों को छात्रों की उपस्थिति के आधार पर प्रतिदिन आवश्यक खाद्य सामग्री की मात्रा और उसकी लागत की गणना करने में मदद करता है, जिससे प्रशासनिक कार्यों में आसानी होती है।

मुख्य विशेषताएँ:

यह ऐप विशेष रूप से बिहार राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के लिए उपयोगी है, जहां शिक्षकों को प्रतिदिन मिड-डे मील की योजना और प्रबंधन करना होता है। इस ऐप के माध्यम से, शिक्षक मिड-डे मील से संबंधित प्रशासनिक कार्यों को कम समय में और अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकते हैं। कुल मिलाकर, मिड-डे मील कैलकुलेटर ऐप शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो उन्हें मिड-डे मील योजना के प्रबंधन में सहायता प्रदान करता है और उन्हें शिक्षण पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाता है।

मिड-डे मील योजना का इतिहास

मिड-डे मील योजना (MDM) भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। इस योजना की शुरुआत 1995 में की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को कुपोषण से बचाना, स्कूल छोड़ने की दर को कम करना और शिक्षा को बढ़ावा देना है। यह योजना विशेष रूप से गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए फायदेमंद साबित हुई है।

मिड-डे मील योजना (MDM) की नींव भारत में स्वतंत्रता से पहले ही कुछ राज्यों में रखी गई थी, लेकिन इसे 15 अगस्त 1995 को पूरे देश में लागू किया गया। शुरुआत में यह योजना केवल सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में लागू की गई थी, लेकिन बाद में इसका विस्तार माध्यमिक विद्यालयों तक भी किया गया। इस योजना को प्रभावी बनाने के लिए समय-समय पर संशोधन किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, 2001 में यह अनिवार्य कर दिया गया कि सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को पका हुआ भोजन दिया जाए। इसके बाद 2004 में केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए अनुदान बढ़ाया और 2006 में इसमें विविध पोषक तत्वों को जोड़कर इसे और प्रभावी बनाया गया।

बिहार में मिड-डे मील योजना

बिहार सरकार मिड-डे मील योजना (MDM) को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। राज्य में यह योजना प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के लाखों छात्रों को लाभान्वित कर रही है। बिहार सरकार इस योजना के तहत छात्रों को सप्ताह में एक दिन दूध और फल देने की भी व्यवस्था कर रही है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार ने मिड-डे मील की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न निगरानी तंत्र विकसित किए हैं। स्कूलों में भोजन की गुणवत्ता जांचने के लिए ब्लॉक और जिला स्तर पर निरीक्षण दल बनाए गए हैं। कई जिलों में स्वयं सहायता समूहों (SHG) और गैर-सरकारी संगठनों (NGO) की मदद से भोजन तैयार और वितरित किया जाता है। हाल ही में, बिहार सरकार ने इस योजना के तहत स्कूलों में स्वच्छ रसोईघर और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने पर भी विशेष ध्यान दिया है। यह योजना राज्य के गरीब और पिछड़े वर्गों के बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने में मदद कर रही है।

मिड-डे मील योजना के उद्देश्य

मिड-डे मील योजना का कार्यान्वयन

मिड-डे मील योजना (MDM) को राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से चलाया जाता है। केंद्र सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जबकि राज्य सरकारें भोजन की आपूर्ति, वितरण और गुणवत्ता नियंत्रण की जिम्मेदारी निभाती हैं।

मिड-डे मील योजना के लाभ

मिड-डे मील योजना की चुनौतियाँ

हालांकि मिड-डे मील योजना (MDM) बहुत सफल रही है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ भी हैं:

समाधान और सुधार के उपाय

  • भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करना – सरकार को भोजन की गुणवत्ता की नियमित निगरानी करनी चाहिए।
  • पारदर्शिता बढ़ाना – भ्रष्टाचार रोकने के लिए योजना को अधिक पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
  • सुविधाओं का विकास – स्कूलों में बेहतर रसोई और स्वच्छता सुविधाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  • स्थानीय निकायों की भागीदारी – स्थानीय प्रशासन, एनजीओ और समाज के अन्य वर्गों को इस योजना में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए।
  • निष्कर्ष

    मिड-डे मील योजना (MDM) भारत में शिक्षा और पोषण सुधार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। बिहार में इस योजना ने लाखों बच्चों को न केवल पोषण प्रदान किया है बल्कि उन्हें शिक्षा की ओर आकर्षित भी किया है। हालाँकि, इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार को उचित निगरानी और सुधार के कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि इस योजना को और बेहतर ढंग से लागू किया जाए, तो यह भारत के भविष्य को और उज्ज्वल बना सकती है।